“ना तो मै तुम्हारा आकडा हूं, ना ही तुम्हारा वोट बँक. मै तुम्हारा प्रोजेक्ट नही हूं और ना ही तुम्हारे अनोखे अजायबघर की कोई परियोजना, ना ही अपने उद्धार की प्रतीक्षा मे खडी आत्मा हूं, और ना ही वह प्रयोगशाला जहाँ परखे जाते है सिद्धांत.”
“तुमने जो नाम मुझे दिये है, जो फैसले सुनाए, जो दस्तावेज लिखे, परिभाषायें बनायी, जो मॉडेल घडे नेता और संरक्षक दिये मुझे, सबसे इन्कार मै करूं. इन सबका, प्रतिकों का. वंचित किया है मुझे मेरे अस्तित्व से, मेरे स्वप्न और मेरे आकाश से.